सुनामी ( Tsunami )
सुनामी ( Tsunami )
अन्त:सागरीय भूकम्पो ( Submarine Earthquakes ) द्वारा भीषण सागरीय लहरों को 'सुनामी' कहा जाता है . सुनामी लहरों की उत्पत्ति सागर तली में अचानक परिवर्तन तथा अव्यवस्था के कारण सागरीय जल में विस्थापन ( Displacement ) हो जाने के कारण होती है .
जापान में आयी भयंकर सुनामीसुनामी ( Tsunami ) का अर्थ -
सुनामी ( Tsunami) जापानी भाषा का शब्द है, जो सु और नामी से मिलकर बना है . इसमें 'सु' का अर्थ समुद्री तट है जबकि 'नामी' का अर्थ लहरे है अर्थात समुद्री तट से टकराने वाली लहरे .
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सुनामी ( Tsunami) आने के मुख्य कारण
सागरीय तली में परिवर्तन होने के कई कारण है, जो इस प्रकार है -
1. सागरीय तली में भ्रंशन
2. सागरीय तली में अवपातन ( Slumping )
3. गहरे जल में भूस्खलन ( Landslides )
4. अन्त:सागरीय काल्डेरा का निर्माण
5. फियोर्ड तट के पास बर्फ के टुकडो का सागर में गिरना
6. एवालांश
7. अन्त:सागरीय भूकम्प
सागर तली में परिवर्तन तथा विरूपण के दो कारण होते है -
1. यदि सागरीय तली में ऊपर की ओर उभार उत्पन्न हो जायें तो उस स्थान से जल चारो तरफ तीव्रता से प्रवाहित होता है और परिणामस्वरूप सुनामी का प्रादुर्भाव होता है .
2. यदि सागरीय तली में अवतलन होता है तो एक वृहद् गर्त का निर्माण होता है . परिणामस्वरूप चारो तरफ से सागरीय जल गर्त की ओर तीव्रगति से दौड़ता है, जिससे भयंकर एवं तीव्रगामी सुनामी उत्पन्न होती है .
सुनामी के साथ सागरीय जल की गति अत्यन्त गहराई तक होती है . जिस कारण सुनामी लहरें अत्यन्त तीव्रगामी, प्रबल एवं क्षतिकारक हो जाती है . जब इन लहरें के मार्ग में संकरी खाड़ी, संकरे सागरीय द्वार अथवा छिछले जलीय भाग पड़ते है, इन लहरों की उच्चाई अचानक अधिक हो जाती है और ये लहर भयानक रूप धारण कर लेती है I साधारण रूप से सुनामी की उच्चाई 0.9 से 1.2 मीटर ( 3-4 फिट ) होती है किन्तु असामान्य परिस्थितियों में इनकी उच्चाई सैकड़ो मीटर तक हो जाती है .
26 दिसम्बर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में भूकम्प उत्पन्न होने के कारण के हिन्द महासागर की तली के नीचे सुनामी लहरों की उत्पत्ति हुई, जिनकी उच्चाई 33 मीटर से अधिक थी . इस भूकम्प का मुख्य कारण भारतीय प्लेट का बर्मी प्लेट के नीचे अधोगमन होना था . भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.9 थी . परिणामस्वरूप भयंकर सुनामी उत्पन्न हुई जिससे इंडोनेशिया, मलेशिया, श्रीलंका तथा भारत समेत कुल 11 देश इन लहरों से प्रभावित हुए .
चैन्नई समुद्री तट 26 दिसम्बर 200426 दिसम्बर 2004 को इंडोनेशिया में भूकम्प आने के बाद एक भयंकर सुनामी उत्पन्न हुई जिससे भारत में भी भयंकर सुनामी आयी . यह ऐसा पहली बार हुआ था जब भारत में सुनामी आयी थी . इस सुनामी से भारत के तटीय राज्यों को बहुत क्षति हई थी .
इंडियन सुनामी अर्ली वार्निग सेंटर (Indian Tsunami Early Warning Centre - ITEWC )
भारत में सुनामी की चेतावनी देने के लिए इंडियन सुनामी अर्ली वार्निग सेंटर (Indian Tsunami Early Warning Centre - ITEWS ) की स्थापना इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फोर्मेशन साइंसेज ( INCOIS - ESSO ) में की गयी है, जो हैदराबाद में स्थित है .
भारत ने अपना सुनामी अर्ली वार्निग सेंटर 2007 में हैदराबाद में स्थापित किया था . भारत द्वारा बनाया गया यह सुनामी वार्निग सेंटर तीन लेवल की जानकारी देता है, जो इस प्रकार है -
1. लेवल - 1 सुनामी की तीव्रता को ट्रैक करता है .
2. लेवल - 2 संभावित सूनामी और लहरों की उच्चाई के बारे में अलर्ट जारी करता है .
3. लेवल - 3 यह पता लगाता है कि समुद्र का पानी तट के भीतर कितना अन्दर जायेगा और क्षति की संभावित मात्रा क्या होगी .
यह सेंटर चेतावनी जारी करने के लिए नेटवर्क से जुड़े उपग्रहों और समुद्र में लगाये गये तैरने वाले चिह्नों का प्रयोग करता है . पाकिस्तान को भी भारत द्वारा सुनामी की पूर्व चेतावनी सूचना प्रदान की जाती है .
हिन्द महासागर में सुनामी चेतावनी प्रणाली लगाने वाला भारत एकमात्र देश है .
भारत में सुनामी से निपटने के लिये एकीकृत सूचना प्रसार प्रणाली की शुरुआत की गयी है, जिसे 'सागर वाणी' नाम दिया गया है .
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