प्रोटोजोआ जनित रोग (Protozoan born diseases)
प्रोटोजोआ जनित रोग (Protozoan born diseases)
1. निद्रा रोग (Sleeping Sickness) - यह रोग ट्रिपेनोसोमा (Trypanosoma) नामक प्रोटोजोआ के कारण उत्पन्न होता है . यह एक परजीवी है, जो सी-सी मक्खियों (Tse-Tse fly) के शरीर में आश्रय लेता है . इन मक्खियों के काटने से रोगाणु शरीर में प्रवेश कर जाते है, जिससे लसिका ग्रंथि बढ़ जाती है और शारीरिक तथा मानसिक निष्क्रियता उत्पन्न हो जाती है . शरीर में दर्द एवं कमजोरी उत्पन्न हो जाती है .
सी-सी मक्खियों (Tse-Tse fly) को कीटनाशी दवाओं का छिडकाव कर नष्ट कर देना चाहिए तथा ट्रिपर्सेमाइड की सुई का पूरा कोर्स ले लेना चहिये .
2. पेचिस (Dysentery) - यह एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) नामक प्रोटोजोआ के कारण होता है . यह परजीवी बड़ी आंत के अगले भाग में रहता है . रोगी को दस्त होता है .
3. मलेरिया (Malaria) - यह रोग प्लाजमोडियम (Plasmodium) नामक परजीवी प्रोटोजोआ से होता है . प्लाजमोडियम (Plasmodium) मादा एनोफिलिज मच्छर के शरीर में आश्रय लेता है जिससे यह अपने डंक द्वारा मनुष्य के शरीर में पहुँच कर उसे रुग्ण कर देती है . इस रोग में जाड़े के साथ बुखार आता है . लाल रुधिराणु नष्ट हो जाते है तथा रक्त में कमी आ जाती है .
इस रोग के उपचार में सिनकोना के वृक्ष की छाल से बनी दवा कुनैन का प्रयोग करना चाहिय . पेलुद्रिन, क्लोरोक्वीन प्रीमाक्वीन आदि औषधि लेनी चाहिय .
4. पायरिया - यह एन्टअमीबा जिन्जिवेलिस (Entamoeba gingivalis) नामक प्रोटोजोआ के कारण होता है . इसमें मसूढो से पस निकलता है तथा दाँतो की जड़ो में घाव हो जाता है .
भोजन में विटामिन C प्रचुर मात्रा में लेना चाहिए . भोजन में रेशेदार खाद्य पदार्थ जैसे हरी सब्जियाँ, गन्ना, फल इत्यादि जरुर खाना चाहिए .
5. कालाजार (Kalazar) - यह लीशमैनिया डोनोवानी (Leishmania donovani) नामक प्रोटोजोआ से फैलता है . इस परजीवी का वाहक बालू मक्खी (Sand Fly) है . इसमें रोगी को तेज बुखार आता है .
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