प्रश्न काल एवं शून्य काल ( Question Hour & Zero Hour )
संसद मे प्रश्न काल तथा शून्य काल
1. प्रश्नकाल -
संसद के सम्बन्ध मे प्रश्नकाल का तात्पर्य उस अवधि से, जिसमे संसद के सदस्यो द्वारा मंत्रिपरिषद के सदस्यो से लोक महत्व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्न पूछे जाते है । यह समय संसद के दोनों सदनो मे प्रत्येक बैठक ( प्रतिदिन ) के प्रारम्भ मे एक घण्टे का होता है । जो समान्यता: 11 से 12 बजे के बीच का होता है । प्रश्नकाल मे भारत सरकार से संबन्धित मामले उठाये जाते है और सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया जाता है । जिससे किसी स्थिति का सामना करने के लिए, लोगो की शिकायते दूर करने के लिए अथवा किसी प्रशासनिक त्रुटि को दूर करने के लिए सरकार कार्यवाही करें ।
2. विभिन्न प्रकार के प्रश्न - संसद मे पूछे जाने वाले प्रश्न विभिन्न प्रकार के होते है, जो इस प्रकार है -
(I) तारांकित प्रश्न - जिस प्रश्न का उत्तर सदस्य तुरन्त सदन मे चाहता है, उसे तारांकित प्रश्न कहते है । तारांकित प्रश्नो का उत्तर मौखिक दिया जाता है । तारांकित प्रश्नो के साथ साथ अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते है । इस प्रकार के प्रश्नो पर तारा लगा कर अन्य प्रश्नो से इसका भेद किया जाता है ।
(II) अतारांकित प्रश्न - जिन प्रश्नो का उत्तर सदस्य लिखित चाहता है, उसे अतारांकित प्रश्न कहते है । अतारांकित प्रश्नो का उत्तर सदन मे नहीं दिया जाता और इन प्रश्नो के अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते है ।
(III) अल्प सूचना प्रश्न - जो प्रश्न अविलंबनीय लोक महत्व के हो तथा जिन्हे साधारण प्रश्न के लिए निर्धारित 10 दिन की अवधि से कम समय मे सूचना देकर पूछा जा सकता है, उन्हे अल्प सूचना प्रश्न कहा जाता है ।
(IV) गैर सरकारी सदस्यो से पूछे जाने वाले प्रश्न - संसद मे मंत्रिपरिषद के सदस्यो के अतिरिक्त अन्य सदस्यो को गैर सरकारी सदस्य कहा जाता है । इन सदस्यो से भी प्रश्न पूछे जा सकते है । ऐसे प्रश्नो का विषय किसी ऐसे विधेयक या संकल्प अथवा सदन के कार्य के किसी अन्य विषय से संबन्धित हो, जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी रहा हो ।
3. आधे घण्टे की चर्चा -
जिन प्रश्नो का उत्तर सदन मे दे दिया गया हो, उन प्रश्नो से उत्पन्न होने वाले मामलो पर चर्चा लोकसभा मे सप्ताह के तीन दिन, सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को बैठक के अंतिम आधे घण्टे मे की जा सकती है । राज्यसभा मे ऐसी चर्चा किसी भी दिन जिसे सभापति नियत करें, सामान्यत: 5 बजे से 5:30 बजे के बीच की जा सकती है । ऐसी चर्चा का विषय पर्याप्त लोक महत्व का होना चाहिय तथा विषय हाल के किसी तारांकित, अतारांकित या अल्प सूचना का प्रश्न रहा हो और जिसके उत्तर के किसी तथ्यात्मक मामले का स्पष्टीकरण आवश्यक हो । ऐसी चर्चा को उठाने की सूचना कम से कम तीन दिन पूर्व दी जानी चाहिय ।
4. शून्य काल -
संसद के दोनों सदनो मे प्रश्न काल के ठीक बाद के समय को शून्य काल कहा जाता है । जो 12 बजे प्रारम्भ हो कर 1 बजे तक चलता है । शून्य काल का लोकसभा या राज्यसभा की प्रक्रिया तथा संचालन नियम मे कोई उल्लेख नहीं है । 12 बजे से 1 बजे के बीच के समय को शून्य काल नाम 70 के दशक मे समाचार पत्रो द्वारा दिया गया तथा संसदीय प्रक्रिया मे शून्य काल भारत की मौलिक देन है । शून्य काल के दौरान सदस्य अविलंबनीय महत्व के मामलो को उठाते है तथा इस पर तुरन्त कार्यवाही चाहते है ।
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