भारत का राष्ट्रपति (President of India)
भारत का राष्ट्रपति (President of India)
इस ब्लॉग में भारत का संविधान ( Constitution of India ) से संबन्धित भारत का राष्ट्रपति(President of India) से सम्बंधित महत्तवपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की गयी है, जो संघ लोक सेवा आयोग , राज्य लोक सेवा आयोग , RO/ARO, UGC-NET, PGT, TGT, CLAT, PET, KVS , NAVODAY , BEO, SSC, RAILWAY, CTET, TET, UPSSSC, पुलिस, शिक्षक भर्ती परीक्षा आदि सभी प्रतियोगी परिक्षाओ के लिये बहुद ही उपयोगी , ज्ञानवर्धन एवं लाभदायक है ।
राष्ट्रपति से संबन्धित महत्वपूर्ण अनुच्छेद
2. अनुच्छेद 53- राष्ट्रपति कार्यपालिका शक्ति का प्रधान होगा
3. अनुच्छेद 54- राष्ट्रपति का निर्वाचन मण्डल
4. अनुच्छेद 55- राष्ट्रपति का निर्वाचन की रीति
5. अनुच्छेद 56- राष्ट्रपति पद का कार्यकाल
6. अनुच्छेद 57- राष्ट्रपति पद की पुन:नियुक्ति
7. अनुच्छेद 58- राष्ट्रपति पद की योग्यता
8. अनुच्छेद 59- राष्ट्रपति पद की सेवा शर्ते
9. अनुच्छेद 60- राष्ट्रपति पद की शपथ
10. अनुच्छेद 61- राष्ट्रपति पर महाभियोग
11. अनुच्छेद 62- राष्ट्रपति पद की आकस्मिक रिक्ति
12. अनुच्छेद 72 – राष्ट्रपति की क्षमा दान की शक्ति
राष्ट्रपति पद की अर्हयता ( योग्यता )
भारत के राष्ट्रपति पद की निम्नलिखित अर्हयता है –
1.वह भारत वर्ष का नागरिक हो ।
2.वह 35 वर्ष की आयु को प्राप्त कर चुका हो।
3.वह पागल अथवा दिवालिया ना हो ।
4.वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो
5.वह भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन किसी भी प्रकार के लाभ के पद पर ना हो।
NOTE – भारतीय सविधान मे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल एवं केंद्र मे और राज्यो मे मंत्रिपरिषद के सदस्यो को लाभ का पद नहीं माना गया है ।
उपराष्ट्रपति से सम्बन्धित जानकारी के लिए नीचे दिए गए Link पर Click करें -
https://examshitter.blogspot.com/2021/05/Vice-President-of-India.html
राष्ट्रपति का निर्वाचक मण्डल
1. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य ।
2. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य ।
3. राज्यो की विधान सभायों के निर्वाचित सदस्य ।
4. केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली, पॉन्डिचेरी एवं जम्मू कश्मीर की विधान सभायों के निर्वाचित सदस्य ।
NOTE – राष्ट्रपति के निर्वाचन मे राज्यसभा, लोकसभा एवं राज्यो की विधान सभायों के मनोनीत सदस्य तथा राज्य विधान परिषद के सदस्य भाग नहीं लेते ।
भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन -
राष्ट्रपति का निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली एवं एकल संक्रमणीय मत पद्यति द्वारा होता है . राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के नाम के लिए कम से कम 50 सदस्य प्रस्तावक एवं 50 सदस्य अनुमोदक होने चाहिए . राष्ट्रपति पद के निर्वाचन के लिए 15000 रुपये की जमानत राशि रखी गयी है . यदि किसी प्रत्याशी को कुल पड़े वैध मतों का 1/6 मत प्राप्त नहीं होते है, तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है .
राष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका निर्णय उच्चतम न्यायलय द्वारा किया जाता है . ( अनुच्छेद 71 )
राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्यति
राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्यति के सम्बन्ध में संविधान के अनुच्छेद 55 में प्रावधान किया गया है, जिसके अनुसार राष्ट्रपति के निर्वाचन में दो सिद्धांतो को अपनाया जाता है -
1. समरूपता तथा समतुल्यता का सिद्धांत - इस सिद्धांत, जो अनुच्छेद 55 के खण्ड (1) एवं (2) में वर्णित है, के अनुसार राज्यों के प्रतिनिधित्व के मापमान में एकरूपता तथा सभी राज्यों और संघ के प्रतिनिधित्व में समतुल्यता होगी . इस सिद्धांत का तात्पर्य यह है कि सभी राज्यों की विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व का मान निकालने के लिए एक ही प्रक्रिया अपनायी जाएगी तथा सभी राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के मत मूल्य का योग संसद के सभी निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्य के योग के समतुल्य अर्थात समान होगा . राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य के मत मूल्य तथा संसद के सदस्यों के मत मूल्य को निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जाती है -
विधानसभा के सदस्यों के मत मूल्य का निर्धारण - प्रत्येक राज्य की विधानसभा के सदस्य के मतों की संख्या निकालने के लिए उस राज्य की कुल जनसंख्या को राज्य विधानसभा की कुल निर्वाचित सदस्य संख्या से विभाजित करके भागफल को 1000 से विभाजित किया जाता है . इस प्रकार भागफल को एक सदस्य का मत मूल्य मान लेते है . यदि उक्त विभाजन के परिणामस्वरूप शेष संख्या 500 से अधिक आयें, तो प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या में एक और जोड़ दिया जाता है . राज्य विधान सभा के सदस्यों का मत मूल्य निम्न प्रकार निकाला जाता है
राज्य की विधानसभा के एक सदस्य का मत मूल्य -
राज्य की कुल जनसंख्या 1
____________________ * _____
राज्य विधानसभा के सभी निर्वाचित 1000
सदस्यों की कुल संख्या
संसद के सदस्य के मत मूल्य का निर्धारण - संसद के सदस्य का मत मूल्य निर्धारित करने के लिए सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्य को जोड़ कर संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों के योग का भाग दिया जाता है . संसद के सदस्य का मत मूल्य निम्न प्रकार निकला जाता है -
संसद सदस्य का मत मूल्य -
सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्य का योग
_______________________________________
संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों का योग
इस प्रकार राष्ट्रपति के चुनाव में यह ध्यान रखा जाता है कि सभी राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मतों के मूल्य का योग संसद के निर्वाचित सदस्यों के मतों के मूल्य के योग के बराबर रहे और सभी राज्य की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्य का निर्धारण करने के लिए एक समान प्रक्रिया अपनायी जाये . इसे ही अनुपातिक प्रतिनिधित्व का सिद्धांत कहते है .
नोट:- वर्तमान में राष्ट्रपति के मतदान में जनगणना का आधार वर्ष 1971 माना गया है .
राष्ट्रपति के चुनाव की यह वर्तमान व्यवस्था 1974 से चल रही है जो 2026 तक यथावत रहेगी .
उत्तर प्रदेश के विधानसभा के एक निर्वाचित सदस्य का मत मूल्य 208 है, जबकि सिक्किम राज्य के विधान सभा के एक निर्वचित सदस्य का मत मूल्य 7 है .
एक सांसद के वोट का मत मूल्य 708 है . संसद के दोनों सदनों में कुल 776 निर्वाचित सांसद होते है, जिनमे से लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 233 .
2. एकल संक्रमणीय सिद्धांत - इस सिद्धांत का तात्पर्य है कि यदि निर्वाचन में एक से अधिक उम्मीदवार हो, तो मतदाताओं द्वारा मतदान वरीयता क्रम से दिया जायेगा . इसका अर्थ यह हुआ कि मतदाता मतदान पत्र में उम्मीदवारों के नाम या चुनाव चिह्न के समक्ष अपना वरीयता क्रम लिखेगा .
पुनर्निर्वाचन के लिए योग्यता -
अनुच्छेद 57 के अनुसार भारत के राष्ट्रपति पद पर पदस्थ व्यक्ति दूसरे कार्यकाल के लिए भी चुनाव में उम्मीदवार हो सकता है . वैसे संविधान में यह व्यवस्था नहीं की गयी है कि राष्ट्रपति पद पर पदस्थ व्यक्ति दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचन में भाग ले सकता है या नहीं, लेकिन सामान्यत: यह परम्परा बन गयी है कि राष्ट्रपति पद के लिए कोई व्यक्ति एक ही बार निर्वाचित किया जाता है . इसका अपवाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद है, जो दो बार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे .
राष्ट्रपति द्वारा शपथ
राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने के पूर्व अनुच्छेद 60 के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश या उसकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय में उपलब्ध वरिष्ठ न्यायाधीश के समक्ष अपने पद के कार्य पालन की शपथ लेता है .
राष्ट्रपति की पदावधि
अनुच्छेद 56 के अनुसार राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रहता है, लेकिन 5 वर्ष की अवधि के पूर्व भी वह उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है या उसे 5 वर्ष की अवधि के पूर्व संविधान के उल्लंघन या अतिक्केरमण के लिए संसद द्वारा लगाये गये महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है .
राष्ट्रपति अपने 5 वर्ष के कार्यकाल के पूरा होने के बाद भी तब तक राष्ट्रपति के पद पर बना रहता है, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है .
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राष्ट्रपति के पद की रिक्ति
संविधान में यह प्रावधान किया गया है कि यदि राष्ट्रपति के पद की आकस्मिक रिक्ति ( मृत्यु , त्यागपत्र या महाभियोग ) हो जाती है तो राष्ट्रपति के रिक्त पद को 6 माह के भीतर भर लिया जाना चाहिए . तब तक राष्ट्रपति के रिक्त पद या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति , राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वाहन करेगा और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति दोनों के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या दोनों की अनुपस्थिति में भारत का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के पद के कृत्यों का निर्वाहन करेगा .
नोट:- 3 मई 1969 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु हो गयी, तब तत्कालीन उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किये गये . लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति पद के चुनाव में उम्मीदवार होने के लिए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था, तब भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मो. हिदायतुल्ला ने राष्ट्रपति के पद का निर्वाहन किया .
अब तक तीन उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरि ( राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु के उपरांत ), बी. डी. जत्ती ( राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के उपरांत ) तथा मोहम्मद हिदायतुल्ला ( ज्ञानी जैल सिंह की अनुपस्थिति के कारण ) और एक मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्ला राष्ट्रपति के पद के कृत्यों का निर्वाहन कर चुके है .
मोहम्मद हिदायतुल्ला एक मात्र ऐसे व्यक्ति है जो राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्धारण दो बार कार्यवाहक रूप से कर चुके है - 1. उपराष्ट्रपति के रूप में ( ज्ञानी जैल सिंह की अनुपस्थिति के कारण ) 2. मुख्य न्यायाधीश के रूप में .
राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते
राष्ट्रपति को नि:शुल्क शासकीय निवास उपलब्ध होता है . वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का हक़दार होता है जो संसद विधि द्वारा अवधारित करें और जब तक संसद ऐसी विधि पारित नहीं करती है उनकी उपलब्धियाँ एवं भत्ते वही रहेंगे जो संविधान की दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट है . वर्तमान समय में राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपये मासिक है, जो भारत की संचित निधि या समेकित निधि पर भारित होता है संविधान के अनुच्छेद 59 के अनुसार राष्ट्रपति के उपलब्धियां और उसके भत्ते उसके कार्यकाल में घटायें नहीं जा सकते .
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