भारत का उपराष्ट्रपति ( Vice President of India )

 भारत का संविधान - भारत का उपराष्ट्रपति ( Vice President of India )

इस ब्लॉग में भारत का संविधान  से संबन्धित भारत का उपराष्ट्रपति ( Vice President of India )  से सम्बंधित  महत्तवपूर्ण  जानकारी   प्रस्तुत  की गयी है, जो संघ लोक सेवा आयोग , राज्य लोक सेवा आयोग , RO/ARO, PET, KVS , NAVODAY UGC-NET, PGT, TGT,  BEO, SSC, RAILWAY, पुलिस, शिक्षक भर्ती परीक्षा आदि सभी प्रतियोगी परिक्षाओ के लिये बहुद ही उपयोगी , ज्ञानवर्धन एवं लाभदायक है । 


संविधान के अनुच्छेद-63 में कहा गया है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।

अनुच्छेद-64 के अनुसार राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। तथा अपनी पदावधि के दौरान अन्य कोई लाभ पद धारण नहीं करता है। भारत का उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के पश्चात् भारत दूसरा उच्चतम प्रतिष्ठित पदाधिकारी होता है।भारत के संविधान में उपराष्ट्रपति से सम्बन्धित प्रावधान भाग 5 तथा अनुच्छेद 63 से 71 तक में किया गया है l उपराष्ट्रपति से सम्बन्धित प्रावधान सयुंक्त राज्य अमेरिका (USA) के संविधान से लिया गया है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं

 उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यताओं का वर्णन अनुच्छेद-66(3) में किया गया है। जिसके अनुसार किसी व्यक्ति में उपराष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए।

1-वह भारत का नागरिक हो।

2-वह 35 वर्ष की आयु को प्राप्त कर चुका हो।

3-वह राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।

4-वह भारत सरकार एवं राज्य सरकार के अधीन किसी भी प्रकार का लाभ का पद धारण न किये हो।

 (लाभ का पद से तात्पर्य -- भारत सरकार या राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी अथवा अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद अथवा वेतन भोगी ।

नोट :- संविधान के अनुसार राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्य के राज्यपाल अथवा संघ या राज्य के मंत्री के पद को लाभ का पद नहीं माना गया है ।

5-वह संसद के किसी सदन या राज्य विधान मण्डल के किसी सदन का सदस्य न हो। यदि वह उपरोक्त किसी भी सदन का सदस्य है और उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है। तो उसी दिन से अनुच्छेद- 66(2) के अनुसार उस सदन में उसका स्थान रिक्त समझा जायेगा।

  राज्य के नीति निदेशक तत्वों से सम्बंधित जानकारी के लिए इस Link को Click करे -

https://examshitter.blogspot.com/2021/05/Directive-Principles-of-State-Policy.html

उपराष्ट्रपति का निर्वाचक मण्डल एवं निर्वाचन

अनुच्छेद-66(1) में उपराष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल का उल्लेख किया गया है। उपराष्ट्रपति का निर्वाचन एक ऐसे निर्वाचन मण्डल द्वारा किया जायेगा के जो संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित सदस्य एवं मनोनीत सदस्य) से मिलकर बनेगा, अर्थात उपराष्ट्रपति का निर्वाचन राज्यसभा एवं लोकसभा के निर्वाचित एवं मनोनीत सभी सदस्यों द्वारा किया जायेगा । राज्य विधानमंडल के सदस्य उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते है l उपराष्ट्रपति का निर्वाचन "आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्यति" के अनुसार "एकल संक्रमणीय मत प्रणाली" द्वारा होता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए अभ्यर्थी का नाम कम से कम 20 मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित एवं 20 मतदाताओं द्वारा अनुमादित होना चाहिए, साथ ही प्रत्याशी द्वारा 15000 रूपये की जमानत राशि  जमा की जानी आवश्यक है l यदि किसी अभ्यर्थी को कुल पड़े वैध मतों का 1/6 मत प्राप्त नहीं होते है तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है l

 उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित विवाद

अनुच्छेद-71 के तहत उपराष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी किसी विवादों का निस्तारण उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है।यदि निर्वाचित उपराष्ट्रपति के पद ग्रहण के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया जाता है, तो पद रहते हुए उपराष्ट्रपति द्वारा किये गये कार्य को अवैध नहीं माना जायेगा l  

 उपराष्ट्रपति का शपथ ग्रहण

 उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की प्रक्रिया अनुच्छेद-69 में दे गयी है। इसके अनुसार उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ ग्रहण करता है।

उपराष्ट्रपति की पदावधि

अनुच्छेद-67 के अनुसार उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष का होता है, किन्तु यदि उसका उत्तराधिकारी इस अवधि में नहीं चुना जाता है, तो वह 5 वर्ष के बाद भी तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी नहीं आ जाता।

उपराष्ट्रपति का पद त्याग

उपराष्ट्रपति का निम्नलिखित ढंग से पद त्याग हो सकता है।

1-राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर--यदि उपराष्ट्रपति चाहे तो अपने कार्यकाल के समाप्त होने के पूर्व ही अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को देकर पद मुक्त हो सकता है।

2-राज्यसभा द्वारा संकल्प पारित करके

  यदि राज्यसभा अपने तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से उपराष्ट्रपति को पदच्युत करने का संकल्प पारित कर दे और लोकसभा उसे स्वीकार्य कर ले तो उपराष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ता है। किन्तु ऐसे प्रस्ताव की सूचना उपराष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व देना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाने पर यथा शीघ्र नये उपराष्ट्रपति का चुनाव कराया जाएगा क्योंकि संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है।

 पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता

जो व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद की आवशयक योग्यता को धारण करता है, वह एक से अधिक कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया जय सकता है l डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं हामिद अंसारी दो बार उपराष्ट्रपति बने है अर्थात ये दोनों पुनर्निर्वाचित हुए है l

 उपराष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते

 उपराष्ट्रपति अपने पद का वेतन नहीं ग्रहण करता, बल्कि वह राज्यसभा के सभापति के रूप में अपना वेतन ग्रहण करता है l राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होता है l वर्तमान समय में राज्यसभा के सभापति का का वेतन 4,00,000 रु. मासिक है lउपराष्ट्रपति का वेतन या भत्ते में उसकी पदावधि के दौरान कोई कमी नहीं की जा सकती है l  

उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियां

उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। अतः वह राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है। वह राज्यसभा में पेश किसी विधेयक पर विचार-विमर्श एवं मतदान नहीं कर सकता परन्तु मत बराबर की स्थिति में राज्यसभा के सभापति के रूप में उसे अपना निर्णायक मत ( Casting Vote ) देने का अधिकार होता है।

वह राज्यसभा द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करता है।

वह राज्यसभा सदस्यों के विशेषाधिकारों को संरक्षण प्रदान करता है।

जब राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग या अन्य किसी कारण से रिक्त हो जाता है, तो अनुच्छेद-65 के तहत उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है। जब तक कि नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण न कर ले। राष्ट्रपति के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय उपराष्ट्रपति को वही वेतन, भत्ते एवं विशेषधिकार प्राप्त होंगे जो राष्ट्रपति को प्राप्त होते हैं।  जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तो वह राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करता है।

भारतीय दण्ड सहिंता  ( IPC ) से सम्बंधित जानकारी के लिए इस Link को Click करे -

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अब तक भारत के उपराष्ट्रपति

  भारत में अभी तक उपराष्ट्रपति पद के लिए 16 चुनाव सम्पन्न हुए हैं। अतः क्रमानुसार श्री जगदीप धनखड़  16वें उपराष्ट्रपति है।  किन्तु व्यक्तिगत क्रम के अनुसार वे भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बनें, क्योंकि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं  उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी दो कार्यकाल के लिए चुनें गये।


उपराष्ट्रपति                         कार्यकाल


1-
डॉ. एस. राधाकृष्णन ---1952 से 1962

2-डॉ. जाकिर हुसैन       ---1962 से 1967

3-वी. वी. गिरि             ---1967 से 1969

4-गोपाल स्वरूप  पाठक   ---1969 से 1974

5-बी. डी. जत्ती             ---1974 से 1979

6-एम. हिदायतुल्ला       ---1979 से 1984

7-आर. वेंकटरमन         ---1984 से 1987

8-डॉ. एस. डी. शर्मा     ---1987 से 1992

9-के. आर. नारायणन   ---1992 से 1997

10-कृष्णकान्त              ---1997 से 2002

11-भैरों सिंह शेखावत   ---2002 से 2007

12-हामिद अंसारी      ---2007 से 2017

13-वेंकैया नायडू          ---2017 से 2022 

14. जगदीप धनखड़     ---2022 से ----

उपराष्ट्रपति से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य

1-भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे।

2-डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन तथा मोहम्मद हामिद अंसारी को दो कार्यकाल के लिए उपराष्ट्रपति चुना गया।

3-कृष्णकान्त भारत के एकमात्र ऐसे उपराष्ट्रपति थें, जिनकी मृत्यु पदावधि के दौरान हो गयी थी।

4- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मोहम्मद हिदायतुल्ला एवं डॉ. शंकर दयाल शर्मा एसे उपराष्ट्रपति रहे जो अपने पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए थे l

5- नजमा हेपतुल्ला उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाली एक मात्र महिला है l

6-उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाने का प्रस्ताव सर्वप्रथम राज्यसभा में लाया जा सकता है।

7-राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद रिक्त होने की स्थिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति का दायित्व सौंपा जाता है।

8-राज्यसभा की अध्यक्षता  उपराष्ट्रपति द्वारा की जाती है किन्तु वह राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है।

उपराष्ट्रपति जो बाद में राष्ट्रपति बने

अब तक कुल 6 उपराष्ट्रपति एसे है, जो बाद में राष्ट्रपति बने, इस प्रकार है –

 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

 डॉ. जाकिर हुसैन

वी.वी. गिरि

आर. वेंकटरमण

डॉ. शंकर दयाल शर्मा

के. आर. नारायणन

उपराष्ट्रपति से सम्बन्धित अनुच्छेदों की सूची

अनुच्छेद 63 – भारत का उपराष्ट्रपति

अनुच्छेद 64 – उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना

अनुच्छेद 65 – राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वाहन करना l

अनुच्छेद 66 – उपराष्ट्रपति का निर्वाचन

अनुच्छेद 67 – उपराष्ट्रपति की पदावधि

अनुच्छेद 68 – उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आवश्यक रिक्ति को भरने के लिए निर्दिष्ट व्यक्ति की पदावधि

अनुच्छेद 69 – उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान

अनुच्छेद 70 – अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वाहन

अनुच्छेद 71 – राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित या संसक्त विषय 


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