वायरस जनित रोग (Viral diseases)

 वायरस जनित रोग (Viral diseases) 


1. एड्स (AIDS) - एड्स एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिसिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immuno-Deficiency Syndrome) का संक्षिप्त रूप है . इस रोग के विषाणु का नाम Human Immuno-Deficiency Virus  (HIV) . यह रोग यौन-सम्बन्ध, रक्तदान में अनियमितता से और नशीले पदार्थो के अत्याधिक सेवन करने से फैलता है . इस रोग से ग्रसित रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है . रोगी का शरीर जगह-जगह फुल जाता है, खून का संचार अव्यवस्थित हो जाता है और अंततः रोगी की मृत्यु हो जाती है . 


2. चेचक (Small pox) - यह एक अत्यंत संक्रामक रोग है, जिसका संक्रमण एक अतिसूक्ष्म विषाणु के कारण होता है . इस रोग से ग्रसित रोगी को सर्वप्रथम सिर, पीठ, कमर और बाद सारे शरीर में जोरो का दर्द होता है और बाद में लाल लाल डेन निकल जाते है, जो बाद में फफोले का रूप धारण कर लेते है . 


3. इन्फ्लुएंजा (Influenza) - यह एक संक्रामक रोग है, जिसका संक्रमण इन्फ्लुएंजी (Influenzae) नामक रोगाणु के कारण होता है . इसको फ्लू (Flu) भी कहते है . इस रोग का संक्रमण होने पर सिर और पूरे शरीर में जोरो का दर्द, सर्दी, खांसी तथा तेज ज्वर आदि लक्ष्ण प्रकट होते है . यह कभी-कभी महामारी का रूप भी धारण कर लेता है . 


4. पोलियो (Poliomyelitis) - यह रोग निस्यन्दी विषाणु (Filterable virus) के कारण होता है . इस रोग का प्रभाव केन्द्रीय नाड़ी संस्थान पर होता है तथा रीढ़ की हड्डी और आंत की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है . यह प्राय: बच्चो को होता है . शरीर इससे बचने के लिए रोग-प्रतिकारक पदार्थ का निर्माण करने लगता है, इससे विषाणु मर जाते है और रोगी पूर्णत: ठीक हो जाता है . 

इस रोग से बचाव के लिए बच्चो को पोलियो निरोधी वैक्सीन दी जाती है . इसकी खोज जॉन साल्क के द्वारा की गयी थी . यह बच्चो को इंजेक्शन के द्वारा दी जाती है . एल्बर्ट साल्विन ने 1957 में मुख से लेने वाली पोलियो ड्रॉप की खोज करके प्रतिरक्षीकरण को ओर आसान बना दिया .     


5. डेंगू ज्वर (Dengue fever or Break bone fever) - यह एक विषाणु जनित रोग है . इस रोग को इडिस इजिप्टी, इडिस एल्बोपिक्ट्स और क्यूलेक्स फटिगंसस नामक मच्छर संचारित करते है . इस रोग में अचानक तेज ज्वर आ जाता है . चेहरा पर पित्तियाँ निकल आती है तथा सिर, आँखे, पेशियों और जोड़ो में बहुत जोरों का दर्द होता है . यह महामारी के रूप में अचानक फैलता है . इस रोग को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है . 


6. हिपैटाइटीस या पीलिया या जॉन्डीस (Jaundice) - यह एक यकृत रोग है, जिसमे रक्त में पित्त वर्णक (Bile pigment) अधिक मात्रा में चला जाता है . इसमें यकृत में पित्त वर्णक का निर्माण अधिक मात्रा में होने लगता है, परन्तु यकृत की कोशिकाएं इसका उत्सर्जन निम्न मात्रा में करती है . फलत: पित्त वर्णक यकृत-शिरा के माध्यम से रक्त में प्रवेश कर जाता है . खून में पित्त (Bile) बढ़ जाता है . 

इस रोग से बचने से के लिए ठंढक से बचना चाहिए . हल्का परन्तु पौष्टिक आहार ग्रहण करना चाहिए . रोगी को तब तक आराम करना चाहिए जब तक सीरम में बिलीरूबीन (Bilirubin) की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति 100 मिलीलीटर नहीं हो पाता है . 


7. हाइड्रोफोबिया या रेबीज (Hydrophobia or Rabies) -  यह एक संघातिक रोग है, जिसका संक्रमण केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में होता है . इसका संक्रमण पागल कुत्ते, भेडियें, लोमड़ी आदि के काटने से होता है, क्योंकि यह रोग सर्वप्रथम इन्ही जंतुओं में होता है . इनके काटने से रोग के विषाणु  शरीर में प्रवेश कर जाते है और समुचित समय पर चिकित्सा न की जाने पर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते है . यह रोग दो रूपों में देखने को मिलता है . एक में उत्तेजना होती है, जल से भय उत्पन्न होता है और रोगी की आवाज कुत्ते के भौंकने जैसी निकलती है . दूसरे में रोगी को पक्षाघात (Paralysis), तेज ज्वर और भयंकर सिरदर्द होता है . 

इस रोग के उपचार के लिए रेबीजरोधी (Antirabies)  टीका लगवाना चाहिए . इस टीके की खोज लुई पाश्चर के द्वारा की गयी थी . 


8. मेनिनजाइटिस (Meningitis) - इस रोग में मस्तिष्क प्रभावित होता है . इस रोग में रोगी को तेज बुखार आता है तथा बाद में बेहोशी भी होने लगती है . मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु के ऊपर चढ़ी झिल्ली के नीचे रहने वाले द्रव सेरिब्रो स्पाइनल द्रव से संक्रमण होता है . इस रोग से बचने के लिए मेनिनजाइटिस (Meningitis) रोधी टीका लगवाना चाहिय . 


9. ट्रैकोमा (Trachoma) - यह आँख की कार्निया का सांसर्गिक रोग है . इससे कार्निया में वृद्धि हो जाती है जिससे रोगी निद्राग्रस्त सा लगता है . इस रोग से बचने के लिए पेनीसीलीन, क्लोरोमाइसीटीन आदि का प्रयोग करना चाहिय . 


10. छोटी माता (Chicken pox) - यह रोग भी चेचक की तरह बहुत ही संक्रामक होता है . इसमें हल्का बुखार होता है . तथा शरीर पर पित्तिकाएँ निकल जाती है जो बाद में जलस्फोटो में बदल जाती है . इस रोग से बचने के लिए चेचक के टीके लगवाना चाहिए तथा सफाई पर ध्यान देना चाहिय . 


11. खसरा (Measles) - इस रोग का कारक मोर्बेली विषाणु (Morbeli Virus ) है . इस रोग में सम्पूर्ण शरीर प्रभावित होता है . यह वायु वाहित रोग है . इस रोग के विषाणु नाक से स्राव द्वारा फैलते है . इस रोग के आरम्भ में नाक व आँख से पानी बहता है . शरीर में दर्द रहता है . तथा ज्वर आदि के लक्षण प्रकट होते है . 3-4 दिन बाद शरीर पर लाल दाने हो जाते है . इसके उपचार के लिए रोगी को आराम करना चाहिए और हल्का भोजन तथा उबला पानी पीना चाहिए . 


12. गलसुआ (Mumps) - इस रोग का कारक मम्पस वाइरस (Mumps Virus) है . इस रोग में लार ग्रंथि प्रभावित होती है . इस रोग के विषाणु का प्रसार रोगी की लार से होता है . प्रारंभ में झुरझुरी, सिरदर्द तथा कमजोरी महसूस होती है . एक-दो दिन बुखार रहने के बाद कर्ण के नीचे स्थित पैरोटिड ग्रंथि (Parotid glands) में सुजन आ जाती है . इसके उपचार के लिए नमक के पानी की सिकाई तथा टेरामाइसिन के इंजेक्शन लगवाने चाहिए . 


आइये अब हम इन विषाणु जनित रोगों को याद करने के लिए एक बड़ी ही बेहतरीन Trick का प्रयोग करते है -


 विषाणु (Virus) से होने वाले रोग की ट्रिक 

विषाणु से होने वाले रोग (Disease) से सम्बन्धित प्रश्न प्राय: प्रत्येक परीक्षा में पूछे जाते है . जिन्हें हमें याद करने में समस्या या परेशानी होती है . अत: यह पर हम आप लोगो के लिए विषाणु से होने वाले रोगो (Diseases) से सम्बंधित बहुत ही बेहतरीन  ट्रिक (Trick) लायें है . जो इस प्रकार है - 

ट्रिक - "हिमा खाट पर चढ़ कर सो गई है

1. हि ---- हिपैटाइटिस

2. मा ---- मेनिनजाइटिस

3. ख ---- खसरा 

4. l ---- एड्स 

5. ट ---- ट्रैकोमा

6. प ---- पोलियो

7. र ---- रेबीस

8. च ---- चेचक 

9. ढ़  ---- डेंगू 

कर ---- (Silent) 

10. स ---- स्माल पॉक्स (छोटी माता) 

11. ग - गलसोथ

12. ई - इन्फ्लुएंजा 

13. ह ---- हर्पिस 

उम्मीद करते है यह ट्रिक (Trick) आप लोगो को अच्छी लगी हो और यह आप के परीक्षा में आप की मदद करे . 


उम्मीद करते है कि हमारी यह जानकारी आपके लिये अति महत्तवपूर्ण होगी . अधिक जानकारी के किये अथवा आपके अपने कोई सुझाव हो तो आप हमें Mail कर सकते है अथवा Comment Box में लिख सकते है .
धन्यवाद . 

Comments

Popular posts from this blog

समुद्री तट ( Sea Coast )

धुँआरे ( Fumaroles )

विश्व के प्रमुख देशो/स्थानों के पुराने एवं नये नाम